Friday, October 18, 2024
Google search engine
HomeLatestDr. BR Ambedkar क्यो अपने पीए से हार गए थे?

Dr. BR Ambedkar क्यो अपने पीए से हार गए थे?

Google search engine

Dr. BR Ambedkar: संविधान लिखने वाले डा. बीआर आंबेडकर क्यो अपने ही पीए से हार गए थे। भारत की आजादी के बाद डा. बीआर आंबेडकर ने छबीस नवंबर, 1949 को संविधान का मसौदा तैयार किया और छबीस जनवरी 1950 को इसे लागू किया गया.

संविधान लागू होने के बाद साल 1951-1952 में देश में पहला लोकसभा चुनाव करवाया गया जिसमें डा. बीआर आंबेडकर के पीए नारायण काजरोलकर ने बुरी तरह से हराया था और उनकी ये चुनावी हार काफी समय तक चर्चा में रही थी.

डॉ. भीमराव आंबेडकर को मरणोपरांत 31 मार्च 1990 को भारत रत्न से नवाजा गया. क्या है आंबेडकर साहब की चुनावी हार का वह किस्सा.

कांग्रेस से क्यो दे दिया था इस्तीफा

आजादी के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू की मार्गदर्शन में देश की पहली अंतरिम सरकार में बाबा साहब विधि और न्यायमंत्री बनाए थे. बाद में किन्ही कारणों से उनका कांग्रेस से मतभेद हो गया.

जिसके चलते उन्होंने 27 सितंबर 1951 को पंडित जवाहरलाल नेहरू को मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया. फिर साल 1942 में खुद के गठित अनुसूचित जाति संघ को नए सिरे से मजबूत करने में लगे।

इसी के चलते आम चुनाव की घोषणा कर दी गई, जिसके लिए मतदान 1951 से लेकर 1952 तक हुए. डॉ. भीमराव आंबेडकर ने पहले आम चुनाव में अनुसूचित जाति संघ के बैनर के तले लोकसभा चुनाव में 35 उम्मीद्वार खड़े किए थे.

इस चुनाव में केवल दो ही उम्मीद्वार जीत पाए थे। इस चुनाव में डॉ. भीमराव आंबेडकर खुद अपने पीए से चुनाव हार गए थे जो काफी चौंकाने वाला था।

एक वो दौर था जब डॉ. भीमराव आंबेडकर को देश में अनुसूचित जातियों के लिए काम करने वाले कद्दावर नेता माने जाते थे. जब डॉ भीमराव आंबेडकर ने उत्तरी मुंबई सीट से चुनाव लड़ना चाहा तो कांग्रेस ने उनके सामने उन्हीं के पीए

नारायण एस काजरोलकर को मैदान में उतार दिया था. वही इस सीट से कम्युनिस्ट पार्टी और हिंदू महासभा ने भी अपना-अपना उम्मीद्वार मैदान में उतारा था।

Dr. BR Ambedkar: काजरोलकर राजनीति में नौसिखिए थे

उनके पीए नारायण काजरोलकर दूध का व्यवस्या चलाते थे और राजनीति में वह नौसिखिए थे. इस चुनाव में पंडित जवाहर लाल नेहरू की लहर इतनी जबदस्त थी कि पहले चुनाव में नारायण काजरोलकर जीत गए थे. पहले चुनाव में डॉ. भीमराव आंबेडकर को 1,23,576 वोट के साथ वह चौथे स्थान पर थे.

वहीं, 1,37,950 वोट पाकर काजरोलकर चुनाव जीते थे. फिर साल 1954 में बंडारा लोकसभा के लिए उप चुनाव में भी डॉ. भीमराव आबंडेकर खड़े हुए पर एक बार फिर उन्हें कांग्रेस के उम्मीद्वार से हार का समाना करना पड़ा.

लगने जा रहा है साल का पहला सूर्य ग्रहण; क्या भारत में दिखाई देगा ये ग्रहण?

उस समय किसी को भी चुनाव में खड़ा कर दिया जाता

देश के पहले आम चुनाव के समय देश आजाद हुआ था और पंडित जवाहरलाल नेहरू जनता की नजरों में हीरो थे. कहा जाता है कि उस समय किसी को भी चुनाव में खड़ा कर दिया जाता वह जीत हासिल करता।

कांग्रेस को पहले चुनाव में लोकसभा की 489 में से 364 सीटों पर प्रत्याशी जीते थे. वही पूरे देश में 3280 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव हुए जिनमें से उसे 2247 सीटों पर जीत हासिल हुई थी.

Dr. BR Ambedkar: 15 साल की उम्र में की थी शादी

डॉ. भीमराव आंबेडकर का जन्म अप्रैल 1891 में महाराष्ट्र के जिले रत्नागिरी हुआ.अप्रैल 1906 में केवल पंद्रह साल की उम्र में उनकी शादी नौ साल की रमाबाई से हुई थी, उनकी पत्नी रमाबाई ने पढ़ाई में उनका साथ दिया. इससे डॉ. आंबेडकर एक न्यायविद, अर्थशास्त्री, समाज सुधारक और राजनेता के रूप में दुनिया के सामने आए.

आजादी के बाद संविधान सभा में 26 नवंबर, 1949 को संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति की अगुवाई की. डॉ. आंबेडकर ने बौद्ध धर्म पर एक भी किताब लिखी जिसका नाम है बुद्ध और उनका धर्म. वही इस पुस्तक का प्रकाशन उनकी मृत्यु के बाद हुआ था.

वही इस पुस्तक को लिखने के बाद बाबा साहब ने 14 अक्तूबर 1956 को खुद बौद्ध धर्म अपना लिया था. पुस्तक लिखने के कुछ दिन बाद छह दिसंबर 1956 को उनका निधन हो गया था. बा बा साहब को उन्हें मरणोपरांत सर्वोच्च साल 1990 में नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था

Google search engine
RELATED ARTICLES

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments