Saturday, October 5, 2024
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Indira Gandhi से देव आनंद ने क्यो की थी बगावत

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Dev Anand: देव आनंद रोमांटिक के तो थे ही इसके साथ ही उनका सपना भारत के हर वर्ग को खुशहाल बनाने का था. इसके लिए उन्होंने राजनीतिक पार्टी बनाई और 1977 के लोकसभा चुनाव में देश भर से प्रत्याशी मैदान में उतारने चाहे थे.

देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भारत के तीन फिल्म अभिनेता राज कपूर, दिलीप कुमार और देव आनंद नेहरू के सांस्कृतिक दूत माने जाते थे. इनमें से केवल देव आनंद को राजनीति में रुचि थी. देव आनंद ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से बगावत तक कर दी थी. आपातकाल के दौर में जगह जगह जाकर भाषण देते थे. इसके बाद राजनीतिक पार्टी भी बनाई.

देव आनंद के अंदर अलग प्रकार का था जज्बा

बात उस समय की है जब वीपी सिंह की सरकार में आरक्षण के खिलाफ युवा आंदोलन कर रहे थे, उस समय देव आनंद ने मुंबई विश्वविद्यालय में पहुंच छात्रों को शांति की अपील की थी. देव आनंद के अंदर अलग प्रकार का जज्बा था. वे कई बार समाजिक मुद्दों पर भी टिप्पणी करते थे. आपातकाल में फिल्मों के विषय, संवाद, गीत, पोस्टर सभी पर कड़ा पहर होने के बावजूद देव आनंद बहुत आक्रोश में रहते थे

1977 में आपातकाल का समापन होते ही पूरे देश में इंदिरा गांधी के खिलाफ नारेबाजी करने के लिए कला,संस्कृति,

सिनेमा जगत की बड़ी हस्तियां सड़कों पर उतर आ गई थी. इसी दौरान देव आनंद अलग अलग शहरों में जाकर

इंदिरा गांधी के खिलाफ जनसभाए कर भाषण दिए. जिनको सुनने के लिए जो भीड़ आई उससे उनके जीवन में

राजनीतिक चेतना जाग गई. लेकिन उस समय में वो राजनीति में नही आए थे. फिर उन्होंने अलग पार्टी बनाई

जिसका नाम नेशनल पार्टी ऑफ इंडिया रखा गया.

Dev Anand ने आपातकाल का समर्थन नही किया

राजनीति पार्टी बनाने से पहले सन् 1976 में देव आनंद को संजय गांधी की रैली में बुलाया गया था. देव आनंद

ने आपातकाल का समर्थन नही किया और रैली में नही गए.देव आनंद पुस्तक ‘रोमांसिंग विद लाइफ’ में इसका

जिक्र किया है. पुस्तक में लिखा है उनके इनकार करने से देव आनंद की फिल्मों को टीवी पर नही दिखाया गया.

जिसके कारण देव आनंद ने कांग्रेस और इंदिरा गांधी का अलग अलग मंचों पर जाकर विरोध किया. देव आनंद ने

अपनी पुस्तक में लिखा की 1977 में राज्य सभ चुनावों की घोषणा के वक्त वकील राम जेठमलानी ने इंदिरा गांधी

और संजय गांधी के खिलाफ प्रचार करने का आग्रह किया था. कुछ बातों से असहमति होने के चलते उनकी

पार्टी के सदस्य नहीं बने. फिर उन्होंने अलग पार्टी बनाने का मन बनाया.

सपना एक आदर्श राष्ट्र बनाने का था

देव आनंद अलग पार्टी बनाई और ऐसा घोषणा पत्र भी तैयार करवाया जो एक आदर्श राष्ट्र बनाने का था.

उन्होंने ऐसी पार्टी का निर्माण किया था जिसमें देश की दिग्गज हस्तियों को शामिल कर इतिहास रचने का

मन बनाया था. सन् 1980 के आम चुनाव में देव आनंद ने बड़े सपने सजोए थे. जिसमें पूरे देश हर गांव

को बिजली से जगमगा करना, देश में कोई गरीब न रहे किसान और मजदूर आराम से रहे. लोगों में किसी

प्रकार का बैर न हो.

Dev Anand: महान विचार को शुरु होते ही खत्म कर दिया

देव आनंद की राजनीतक पार्टी में बड़े बड़े दिग्गज जुड़े थे. जिनमे उनके भाई विजय आनंद, अमित खन्ना,

न्यायवादी नानी पालखीवाला साथ साथ बड़े बड़े लोग शामिल थे घोषणा पत्र तैयार हुआ तो कई लोग सहमत

नहीं हुए थे और घोषणा पत्र में बदलाव चाहते थे. देशभर की 500 से ज्यादा लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार

लाना काफी मुशकिल था. देव आनंद ने आत्मकथा में लिखा है कि जिस तरह से शुरुआती दौर के उत्साह

के बाद लोगों ने मेरे उत्साह को कम कर दिया यह नेशनल पार्टी का अंत था. महान विचार को शुरु होते

ही खत्म कर दिया. इसके साथ ही व आनंद ने पार्टी को भंग कर दिया था.

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