Currency: अमेरिका के डॉलर के बारे में ऐसा कोई नही जो जानता न हो. इस करंसी का विश्व की करीब 180 करंसी में अहम स्थान है. साल 1792 से पहले अमेरिका में मुद्रा का जबरदस्त संकट आया था. उस खरीददारी करने के लिए सोने चांदी में भुगतान किया जाता था.
दुनिया भर का सबसे ताकतवर डॉलर
दुनिया भर की सबसे ताकतवर डॉलर (Currency) की बात भारत में इसलिए होती है, क्योंकि इसी की तुलना कर भारतीय रुपए की घटत बढ़त का हिसाब लगाया जाता है। एक समय ऐसा आया जब अमेरिका में डॉलर का संकट हुआ था. जिससे बाहर निकलने के लिए निपटने दो अप्रैल 1792 को डॉलर को करंसी के रूप में मान्यता प्रदानकी गई. क्या था पूरा मामला.
डॉलर काफी सीमित के चलते लोग सामान खरीदने के लिए पारंपरिक तरीके अपनाते थे. सामान के बदले सामान से लेन देन किया जाता था. करंसी का इस्तेमाल सीमित होने के कारण कई बार लोग ब्रिटिश या स्पेनिश सिक्कों सेभुगतान करते थे.
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Currency: चांदी से बना डॉलर मुद्रा के तौर पर चलन में आया
अमेरिकी कांग्रेस ने दो अप्रैल 1792 को कॉइनेज एक्ट पारित किया. इस एक्ट के पारित होने पर
यूएस मिंट की शुरुआत हुई जिसका काम सिक्के ढालना और पूरी दुनिया में उनको नियंत्रित करना था.
इस प्रकार अमेरिका की पहली औपचारिक मुद्रा चांदी से बना यही डॉलर मुद्रा के तौर पर चलन में आया.
उस समय अमेरिका निवासी घरों से चांदी लेकर मिंट जा कर वहां से सिक्के ढलवा कर लाते थे.
इस कानून का मानना था कि खरीद-ब्रिकी को नागरिकों के लिए आसान होगा लेकिन ऐसा नहीं सका.
चांदी के सिक्के कम ही ढलते थे. वहीं बाजार में इसकी आवक ज्यादा नहीं होती थी. फिर समस्या को
ध्यान में रखते हुए अमेरिका में बैंकों ने अपनी ही करंसी शुरू कर दी गई.
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सरकारी कंट्रोल में जारी की गई कागज की मुद्रा को डिमांड नोट्स कहा जाता
अमेरिका में जब चांदी की किल्लत होने लगी तो साल 1861 में अमेरिकी कांग्रेस ने इसका हल निकाल
कागज की मुद्रा जारी करने का फैसला किया. ये चांदी की किल्लत को दूर करने का प्रयास था.
सरकारी कंट्रोल में जारी की गई कागज की मुद्रा को डिमांड नोट्स कहा जाता था.
कागज की मुद्रा में सबसे पहले अमेरिका ने $5, $10 और $20 के नोट छापे. इनको ग्रीन बॉक्स नाम दे रखा था.
इसके बाद साल1862 में एक डॉलर के नोट की छपाई शुरू हुई. इसका डिजाइन तब से
अब तक कई बार बदला जा चुका है