Friday, October 18, 2024
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फूल बन कर महकना ही जिंदगी है; कविता सुन लोटपोट हुए श्रोता

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Poem: एमके साहित्य अकादमी पंचकुला एवं प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में नववर्ष 2081 के उपलक्ष्य में भव्य विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। ब्रह्माकुमारी प्रेम दीदी के मार्गदर्शन में आयोजित यह कवि सम्मेलन वैश्विक संस्कृति, प्रेम, शांति और सद्भाव को समर्पित था। जिसमें दयाल सिंह कॉलेज की प्राचार्य डॉ. आशिमा गक्खड़ ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। जबकि वरिष्ठ साहित्यकार एवं एमके साहित्य अकादमी, पंचकुला की अध्यक्ष डॉ. प्रतिभा माही ने सम्मेलन की अध्यक्षता की।

सुन्दर वसंत ऋतु में भी हमने

कवि सम्मेलन का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन एवं सरस्वती वंदना से हुआ। सबसे पहले ब्रह्माकुमार मनोज ने खुशनुमा शिव बाबा के गीतों पर अपनी सुंदर प्रस्तुति दी। उनके बाद मंच पर आमंत्रित ओज कवि राधाकांत पांडे ने अपनी देशभक्ति रचनाओं से दर्शकों में देशभक्ति का संचार किया और कहा कि आज समय है शौर्य, शक्ति और साहस का जश्न मनाने का, रणभूमि में फिर गूंजेगी शत्रु की चीख , जब तुम बहार के मौसम में डूब जाओगे। सुन्दर वसंत ऋतु में भी हमने भारत माता की स्तुति में एक गीत लिखा है।

सुप्रसिद्ध हास्य-व्यंग्य कवि विनीत पांडे ने अपनी हास्य कविताओं से श्रोताओं की खूब वाहवाही लूटी। उन्होंने हास्य के महत्व पर अपनी प्रस्तुति देते हुए कहा, ‘फूल बन कर महकना ही जिंदगी है।’

Poem: खुशियों के गीत गाना ही जिंदगी है

ग़म के बादल तो आते जाते रहेंगे, ग़म भूलकर मुस्कुराना ही ज़िन्दगी है। कवि दिनेश शर्मा दिनेश ने बदलती

सामाजिक परिस्थितियों पर अपनी प्रस्तुति दी, ‘धर्म की स्थापना के लिए अब तुझे कदम उठाना होगा, हे गिरधारी,

कलयुग में फिर तुझे आना होगा।’ उन्होंने अपनी कविताओं और मुक्तकों से दर्शकों की खूब तालियां बटोरीं.

प्रसिद्ध गीतकार और ग़ज़ल लेखक चरणजीत चरण ने अपने संस्कृति आधारित छंदों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध

कर दिया। उन्होंने मां की महिमा का गुणगान करते हुए कहा कि जिस पथ से गुजरा है देश का लाडला

चलो ऐसे पथ पर चलें

ऐसी जगह को छूएं जहां प्यार और संस्कार पनपें, चलो सपनों के ऐसे गांव को छूएं, जिसे जिंदगी ने लिखा है

मुसाफिरों के नाम, चलो रास्ते में पेड़ों की छांव छूकर चलें, हर जगह सब से भर जाएगी गुण. एक बात,

घर से निकलते वक्त माँ के पैर छूना, ऐसे ही मैंने बात संभाली, फिर मुस्कुरा कर उनसे विदा ली, मेरे दोस्त,

आँसू कहाँ छुपते, मैंने ये किया और अपनी आँखें छुपा लीं।

Poem: कवि सम्मेलन के बाद स्व

मुख्य अतिथि डॉ. आशिमा गक्खड़ ने सभी कवियों को उनकी उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए धन्यवाद देते हुए कविता

के महत्व पर प्रकाश डाला। कवि सम्मेलन की अध्यक्ष डॉ प्रतिभा ‘माही’ ने प्रेम, शांति और सद्भाव की बात

करते हुए कहा कि कविता के माध्यम से समाज में अच्छे मूल्यों को जीवित रखा जा सकता है और समाज में

बदलाव लाया जा सकता है. उन्होंने सभी कवियों को बधाई दी.

ब्रह्माकुमारी प्रेम दीदी

उन्होंने केन्द्र में काव्य पाठ करने के लिए एमके साहित्य अकादमी एवं सभी कवियों का आभार व्यक्त करने के

बाद प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की गतिविधियों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। अंत में

सभी कवियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। देर रात तक चले कवि सम्मेलन का दर्शकों ने आनंद

उठाया। कवि सम्मेलन का सफल संचालन कवि दिनेश शर्मा दिनेश ने किया।

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