Sunday, September 8, 2024
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शाम के समय शिवलिंग पर जल चढ़ाएं या नहीं? क्या है मान्यता

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Shivalinga: कुछ लोग हर सोमवार को जाकर शिवलिंग पर जल चढ़ा पूजा करते है तो कुछ लोग रोजाना शिवर मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल चढ़ाते है। सोमवार को तो भोले नाथ के मंदिरों में जल चढ़ाने के लिए श्रद्धालुओं की लंबी लंबी कतारे देखी जा सकती है।

मंदिरों में भगवान शिव का गंगा जल, दूध, भाग, धतूरे, दही, आक, शहद आदि से अभिषेक किया जाता है। कुछ लोग शिवलिंग पर शाम के समय भी जल चढ़ाते है क्या वो शुभ है या अशुभ आपकों जरुर जानना चाहिए।

उत्तर दिशा भगवान भोलेनाथ का बायां अंग, जहां माता पार्वती विराजमान हैं

ब्रह्मणों की माने तो  भगवान भोले नाथ की पूजा के दौरान अगर कोई भी भूल या कोई गलती हो जाती है तो पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता.

हर सोमवार को भगवान भोले नाथ की पूजा करने से श्रद्धालुओं की मनोकामनाओं की प्राप्ती के दरवाजे खुल जाते हैं. शिव पुराण के अनुसार, शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए गलत दिशा में नहीं खड़ा होना चाहिए.

पूर्व और दक्षिण दिशा की ओर मुख करके शिवलिंग पर जल चढ़ाना अशुभ माना गया है. श्रद्धालुओं को हमेशा उत्तर दिशा की ओर मुंह करके ही शिवलिंग पर जल चढ़ना शुभ माना जाता है.

बताया जाता है कि उत्तर दिशा भगवान भोलेनाथ का बायां अंग है, जहां माता पार्वती विराजमान रहती हैं.

मंदिर में शिवलिंग (Shivalinga) पर जल चढ़ाने जाए तो आराम से बैठकर मंत्रोच्चार के साथ जल अर्पित करें. आप अगर खड़े होकर जल अर्पित करते हैं तो इसका फल प्राप्त नहीं होता है. शिवलिंग पर हमेशा तांबे के लोटे से ही जल अर्पित करना चाहिए.

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Shivalinga: शिवलिंग पर किस समय न चढ़ाए जल

शिव पुराण में बताया गया है कि भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग पर शाम के समय जल चढ़ाना अशुभ होता है. शिवलिंग पर सुबह 5 बजे से 11 बजे के बीच जल चढ़ाना चाहिए. जब भी भोले बाबा का जलाभिषेक करें तो जल में अन्य कोई भी सामग्री न मिलाएं इससे  पूर्ण फल की प्राप्ति नहीं होती है.

 जल चढ़ाने के लिए न करे शंख का प्रयोग

पौराणिक कथा में लिखा है कि भगवान भोले नाथ शंखचूड़ राक्षस का वध किया था और शंख उसी राक्षस की हड्डियों से बना हुआ है. वही शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय यह बात ध्यान रखें कि जलधारा न टूटे वही एक साथ ही जल चढ़ाना अच्छा माना जाता है. जल की धारा टूट जाए तो पूजा का लोगों को पूर्ण फल नहीं मिलता है.

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