Premanand: जीवन में आगे बढ़ना है और सफलता पानी है, तो एक सही दिनचर्या का होना बेहद जरूरी है। एक अच्छी दिनचर्या का पालन करने से सभी काम सही समय पर पूरे होते हैं, साथ ही व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से भी उन्नति करता है। अगर बचपन में ही मां-बाप बच्चों की दिनचर्या पर ध्यान दें तो ये भविष्य में उनकी उन्नति के रास्ते खोल देता है। श्री प्रेमानंद जी महाराज ने अपने सत्संग के दौरान बच्चों की सही दिनचर्या कैसी हो इसपर विस्तृत चर्चा की है। साथ ही उन्होंने बच्चों की उन्नति के लिए सही दिनचर्या के होने का महत्व भी बताया है। आप भी अपने बच्चों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए महाराज श्री की बताई हुई दिनचर्या का पालन उनसे करा सकते हैं।
प्रातः काल ब्रह्ममुहुर्त में उठने की डालें आदत
प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार सुबह सूर्योदय से पूर्व बिस्तर छोड़ देना चाहिए। ब्रह्ममुहुर्त का समय यानी 4 बजे का समय सुबह उठने के लिए सबसे उपयुक्त माना गया है। सुबह उठते ही सबसे पहले धरती माता को प्रणाम करें और फिर संतो और भगवान का नाम लेते हुए आसान का त्याग करें। इसके बाद अपने माता-पिता के चरणस्पर्श कर उनका आशीर्वाद लेना ना भूलें। इसके बाद वज्रासन में बैठकर लगभग आधा या एक लीटर गर्म पानी पीएं और 100 से 200 कदम टहलें। इससे पेट आसानी से साफ होगा जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों दुरुस्त रहेंगे।
Premanand: ऐसा हो सुबह का रूटीन
प्रेमानंद महाराज जी के अनुसार बच्चों को फ्रेश होने के तुरंत बाद स्नान कर लेना चाहिए। स्नान के बाद कुछ समय धूप में बैठकर योग और प्राणायाम करें। दंड बैठक, प्राणायाम, सूर्य नमस्कार, आलोम-विलोम जैसे योगासन बच्चे के रूटीन में जरूर शामिल करें। इसके तुरंत बाद बच्चों को पढ़ाई करने बैठ जाना चाहिए। महाराज श्री के अनुसार जो भी कक्षा में पढ़ाया जा चुका है, उसका रिवीजन करें या कोई भी होम वर्क मिला हो उसे पूरा करें। इस समय याद की गई चीजें बहुत ज्यादा दिनों तक स्मृति में बनी रहती हैं इसलिए इस समय पढ़ाई करना बेहद अच्छा माना गया है।
बुरे संग से रहें दूर
बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं, उन्हें जैसे मोड़ दिया जाए वो उसी आकार में ढल जाते हैं। ऐसे में जरूरी है कि बच्चे गलत संगत से दूर रहें। माता-पिता को अपने बच्चों को यह जरूर सिखाना चाहिए कि यदि कोई बच्चा या कोई भी इंसान उन्हें कोई गंदी चीज दिखा रहा है या बोल रहा है, तो वो उसे तुरंत अपने अध्यापक और माता-पिता से कहें। यहां माता पिता की यह जिम्मेदारी बनती है कि वो बच्चों को इतना सहज महसूस कराएं कि वो हर बात उनसे बेझिझकर साझा कर सकें।
बच्चों को खिलाएं सात्विक आहार
बच्चे भले की कितना भी बाहर का जंक फूड या पैकेट वाला भोजन खाना पसंद करते हों लेकिन
माता-पिता को उनके आहार का पूरा ध्यान रखना चाहिए। ऐसे में बच्चों को घर का बना
साफ-सुथरा सात्विक आहार ही खिलाएं। जैसा भोजन हम खाते हैं, उसका असर हमारे विचारों
और बुद्धि पर भी पड़ता है। इसलिए बाहर के भोजन से दूर रहें और अपने पूरे परिवार को
घर का शुद्ध सात्विक भोजन ही खिलाएं।
Premanand: रात के समय ऐसी हो दिनचर्या
प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार रात में सोने से पहले बच्चों को भगवान का नाम
लेना चाहिए। इस दौरान उन्हें मोबाइल फोन, टीवी जैसी चीजों से दूर रहना
चाहिए। भगवान को दिन के लिए धन्यवाद कहें, उनका नाम जप करें और
अपने दिन को भगवान को समर्पित करें। ऐसा करने से बच्चों के अंदर
ग्रेटीट्यूड की भावना पैदा होती है, जो उन्हें जीवन में हमेशा खुद
और सफल बनाती है।
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[…] (ये आर्टिकल सामान्य जानकारी के लिए है, किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें) […]
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